चींटी-चांदी-चूड़ा-चूं-चपड़.
पगली खुशियां रगड़-धगड़.
कानाफूसी करती शाखें,
बगिया, दो पगले, पकड़-धकड़.
मेला, बन-ठन रूठ गया,
प्रणय,प्रमोद, लसड़-फसड़.
कुआं प्यासा भरी दुपहरी,
ढोल, तमाशा, उलड़-पलड़
(अभय श्रीवास्तव)
2 टिप्पणियां:
वाह क्या शब्द का चयन व सामंजस्य है अभय जी!
बधाई आपको
शब्द चयन और संयोजन बहुत ही सुन्दर! मजा आ गया। बधाई!
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