हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

शनिवार, 23 मार्च 2013

प्रेम

चींटी-चांदी-चूड़ा-चूं-चपड़.
पगली खुशियां रगड़-धगड़.

कानाफूसी करती शाखें,
बगिया, दो पगले, पकड़-धकड़.

मेला, बन-ठन रूठ गया,
प्रणय,प्रमोद, लसड़-फसड़.

कुआं प्यासा भरी दुपहरी,
ढोल, तमाशा, उलड़-पलड़
                                                     (अभय श्रीवास्तव)

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वाह क्या शब्द का चयन व सामंजस्य है अभय जी!
बधाई आपको

Unknown ने कहा…

शब्द चयन और संयोजन बहुत ही सुन्दर! मजा आ गया। बधाई!

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