हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

ज़िंदगी एक ग़ज़ल

ज़िंदगी सोज़ ग़ज़ल। यूं पढ़ूं रोज़ ग़ज़ल।



ज़िंदगी सोज़ ग़ज़ल।
यूं पढ़ूं रोज़ ग़ज़ल।

जुम्बिश-ए-लब पे ख़ामोश रहो,
दिल में उतरी है अफ़रोज़ ग़ज़ल।

कितना मुबारक मौका है,
छिड़ी कोई नौरोज़ ग़ज़ल।

बड़ी आवारा हुई जाये हसरत,
हद में नहीं इमरोज़ ग़ज़ल।

तू इक दुआ सी है,
कबूल हुई फ़िरोज़ ग़ज़ल।

नुमाइश लगी मेरे वजूद की,
सीने में दफ़्न आमोज़ ग़ज़ल।
                                        (अभय)

सोज़ - burning, heat passion
जुम्बिश-ए-लब - movement of lips
अफ़रोज़ - one that brightens
नौरोज़ - festivity of new year
इमरोज़ - today, current day
फ़िरोज़ - bright
आमोज़ - learn

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