सीना-ए-आसमां पे छुपा चांद है.
बदरी हया की हाय घिरा चांद है.
बड़ी अजब करे आंखमिचौली,
सांसों के जैसे चला चांद है.
रात अकेले दिया के उजाले,
आग लगाए जला चांद है.
साथ हमेशा रहता है पल भर,
यादों के जैसे हुआ चांद है.
मुस्कुराता कोई आंखों में मेरे,
आंसू बन के बहा चांद है.
(अभय श्रीवास्तव)
बदरी हया की हाय घिरा चांद है.
बड़ी अजब करे आंखमिचौली,
सांसों के जैसे चला चांद है.
रात अकेले दिया के उजाले,
आग लगाए जला चांद है.
साथ हमेशा रहता है पल भर,
यादों के जैसे हुआ चांद है.
मुस्कुराता कोई आंखों में मेरे,
आंसू बन के बहा चांद है.
(अभय श्रीवास्तव)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें