(एक बिछुड़े साथी के लिए)
तुम मेरे शब्दों से परे हो,
तुम पर कुछ लिखूं कैसे?
हां, इतना कहता हूं,
तुम अपने पदचिन्हों को
तलाशोगे,
मुझ तक लौटने के लिए.
मगर वक़्त की बयार,
उन्हें मिटा चुकी होगी.
(अभय श्रीवास्तव)
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