आंखों में उतर आई है भूख.
नई दुल्हन सी लजाई है भूख.
कहानी सुनकर बच्चे का सो जाना,
कुन्ती के चूल्हे पे ललचाई है भूख.
तुम्हारे गोलगप्पे से सस्ती है उसकी रोटी,
जूठे दोने सी छितराई है भूख.
वो अपनी मजबूरियों पे ज्यों मुस्कुराया,
बेबस मां सी छटपटाई है भूख.
ताक धिन धिन दुनिया बहुरंगी,
अपनी तबीयत पे कतराई है भूख.
ज़िंदगी बनके गुड़हल फैलाती रही बाहें,
बारिश की बूंदों में समाई है भूख.
(अभय श्रीवास्तव)
नई दुल्हन सी लजाई है भूख.
कहानी सुनकर बच्चे का सो जाना,
कुन्ती के चूल्हे पे ललचाई है भूख.
तुम्हारे गोलगप्पे से सस्ती है उसकी रोटी,
जूठे दोने सी छितराई है भूख.
वो अपनी मजबूरियों पे ज्यों मुस्कुराया,
बेबस मां सी छटपटाई है भूख.
ताक धिन धिन दुनिया बहुरंगी,
अपनी तबीयत पे कतराई है भूख.
ज़िंदगी बनके गुड़हल फैलाती रही बाहें,
बारिश की बूंदों में समाई है भूख.
(अभय श्रीवास्तव)
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