हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

इश्क से ना, ना कहिए

गीली मिट्टी को मुट्ठी में भर लेना.
उनके यकीन पर यूं निशां कर लेना.

बिगड़े बच्चों से उनके खयालात हैं,
खेल में दिल तोड़ें तो आह भर लेना.

वे खुदा हैं तय करेंगे जनम का रिश्ता,
मर भी जाओ तो दिल बड़ा कर लेना.

कहीं सुना है कि इश्क इबादत है,
उनकी मजबूरियों से वफ़ा कर लेना.
                          (अभय श्रीवास्तव)

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