हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

शनिवार, 23 नवंबर 2013

उनका उद्धार करो !

तुम मैला ढोते हो,
वो पाप ढोते हैं.

न तुम उतारते हो,
न वो उतारते हैं.
हां,
शायद तुम इंतज़ार करते हो.
मगर वो इंतज़ार नहीं करते.

अब तुम्हे ही पहल करनी होगी,
मैला सिर से उतार फेंकना होगा.
हां तुम्हे ही,
उनका उद्धार करना होगा.
समाज को साकार करना होगा.
                  (अभय श्रीवास्तव)

कोई टिप्पणी नहीं:

बातें करनी है तो...

संपर्क -
ई-पता : aabhai.06@gmail.com
दूरभाष : +919811937416

@ Copyrights:

कंटेट पर कॉपीराइट सुरक्षित है. उल्लंघन पर विधिमान्य तरीकों से चुनौती दी जा सकती है.