हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

सोमवार, 17 जून 2013

दीनानाथ की कुतिया

पगली है !
दीनानाथ की कुतिया.

पूंछ उठाती है,
पु-पु-आती है,
पैर चाटती है.

ख़ुद तो दीनानाथ -
आधा पेट खाता है,
कुतिया को क्या खिलाता है?

वफ़ादारी -
क्या इतनी पक्की चीज़ होती है?

ये क्या -
रोटी का टुकड़ा फेंकने से,
हासिल होती है?

या फिर -
प्रेम इतना भूखा होता है?
                                            (अभय श्रीवास्तव)

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