हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

झूठी तस्वीर

कैमरे की क्लिक
दर्ज कर गई
कि
गाल का गोलौटा भरा हुआ था
दांत चमकते दिख रहे थे
आंख अधखुली ठिठोली कर रही थी
यूं समझो
चेहरे पर कई भाव नृत्य कर रहे थे
मानो खुशी पूरी थी.

मगर
कैमरे की क्लिक
बेजान थी.
ह्रदय की पीड़ा
तस्वीर में नहीं थी.

इन दिनों
मुझसे मिलने वाले बहुतेरे
कैमरे की क्लिक सा चमकते हैं.
                                                (अभय श्रीवास्तव)

5 टिप्‍पणियां:

Jyoti khare ने कहा…

ह्रदय की पीड़ा
तस्वीर में नहीं थी-----
वाह क्या गहन अनुभूति है
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति

मेरा नया गीत पढ़ें


Ranjana verma ने कहा…

बहुत अच्छी रचना ...कैमरे की क्लिक बेजान थी.

Ranjana verma ने कहा…

बहुत अच्छी रचना ...कैमरे की क्लिक बेजान थी.

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना! मेरी बधाई स्वीकारें।

बेनामी ने कहा…

वाह अभय जी क्या उपमा की है! आपकी कलपनाशक्ति प्रशंसनीय है।
सादर

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