हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना
मंगलवार, 5 मार्च 2013
कुमार अरविन्द की कविता
एक लड़की की आत्मकथा
एक लड़की
जो सोचती है
सबसे डिफरेंट
जो पढ़कर लिखकर
कुछ करना चाहती
बढ़ना चाहती है
निरंतर आगे.
जिसके अन्दर
अदम्य जिजीविषा है
अपने उस लक्ष्य को पाने के लिए.
नाम करना चाहती है
अपना और अपने परिवार का
जो बेखौफ
घूमना चाहती
शहर की गलियों में.
एक ऐसे
समाज का निर्माण
करना चाहती
जिसमें सभी को
देखा जाय
एक ही दृष्टि से
जहाँ द्वैयत्ता का भाव न हो.
और आगे वह
रचनात्मक कार्य करना चाहती
लिखना चाहती है
अपनी आत्मकथा.
जिसमें वह
सब कुछ दर्शाना चाहती
कैसे प्राप्त की शिक्षा ?
कैसे सीखा उसने डाँस ?
कैसे सीखा तैरना ?
अपनी समस्त
मनोभावनाओं को
अपने जीते जी कैद
करके रखना चाहती
जिसमें वह
स्वयं का सत्य दिखाना चाहती.
(08.08.2000)
कुमार अरविंद युवा और तेजतर्रार कवि हैं. यूपी के प्रतापगढ़ में राजकीय महिला कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. आपकी 2 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.
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1 टिप्पणी:
काश ऐसे ही दिन आए किसी भी बेटी और लड़की के लिए ...बहुत खूब
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