तुम औरत हो,
तुम वेश्या हो,
तुम्हे तो एड्स भी है.
एक साथ
कैसे ढोती हो इन चीज़ों को !
क्या?
मरना चाहती हो?
मारना भी चाहती हो?
तुमने ज़रूर सपना देखा होगा
मगर अब तक
आंखें नहीं फूटी तुम्हारी
शायद
तुम जीना चाहती हो !
तुम औरत हो,
तुम वेश्या हो,
तुम्हें तो एड्स भी है.
बोलो
लड़ना चाहती हो न !
लड़ो !
लड़ो !
लड़ो !
(अभय श्रीवास्तव)
2 टिप्पणियां:
गहन अभिव्यक्ति....
झकझोरती...
अनु
kafi aachi lagi aap ki kavita
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