न जाने कैसे ये सब हो गया
मुकद्दर
मेरा
तमाशा
बन गया
गुजरो
जिधर
देखते
हैं गौर से
आदमी
था एक अजूबा बन गया
बार बार देखी सूरत ये अपनी
चेहरे
पर कैसे ये धब्बा बन गया
दिल में तो थीं इंकलाब की बातें
तेरी
उल्फत
में दीवाना बन गया
मशहूर
होना
तो इसे भी मानो
3 टिप्पणियां:
बहुत खूब
Baut aachi, Sundar
मुझे यहां स्थान दिया इसके लिए धन्यवाद!
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