हिंदी कविता का अथेंटिक ठिकाना

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

हो ओ रंगरेज़ मोरा मन

मन के दो रंग होते हैं, श्वेत श्याम और रंगीन. मेरे इस गीत में इन दो रंग को पढ़िए.   


अम्मो री बम्मो री
रम्मो री छम्मो री
हो ओ रंगरेज़ मोरा मन
सबको रंग लूँ 
प्रेम की रुत आये
प्रेम की रुत आये
लाये  लाये
झूठी निशानी पे रुसवाई  लाये
फूल मिले कांटे  
सांचों में कोई बांटे 

फासले ज़िन्दगी के मौला
खुर्च-खुर्च छिले मौला
तकसीम शहर अब परीशां  करे
रब खैर करे !!!!!!!

अम्मो री बम्मो री
रम्मो री छम्मो री
हो रंगरेज़ मोरा मन
मुस्कान ला दूँ 
पत्ता-बूटा खिल जाये
पत्ता-बूटा खिल जाये
पर ये कौन रुलाये?
अपने-पराये में सिमटाये
दायरे हैं कितने छोटे यहाँ
अपनी दीवारों में लिपटे जहाँ

हौसले ज़िन्दगी के मौला
कदम-कदम फिसले मौला
नकाब रख कोई अब आया  करे
रब खैर करे !!!!!!!

अम्मो री बम्मो री
रम्मो री छम्मो री
हो रंगरेज़ मोरा मन
मन परवाज़ बना दूँ
ढीली डोर पतंग बन जाये
ढीली डोर पतंग बन जाये
वक़्त जब इम्तहां लेने आये
क़दमों में सारा जहाँ देके जाये
रौशनी को हथेली पे रख लूँ
अंधेरों में अपने निशां परख लूँ

ज़लज़ले ज़िन्दगी के मौला
वक़्त-बेवक्त मिले मौला
कोई सितम अब रुलाया  करे
रब खैर करे !!!!!!                                           (अभय श्रीवास्तव)

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