रूमी सूफ़ी दरवेश को पढ़ना एक अलग संसार में विचरना है, अपने आप से जुड़ने का पथ है. उनकी 300 कविताएं "शम्स दीवान" पाठकों को अध्यात्म राह पर ठौर देती हैं, और इस शोर के दौरान एक ख़ामोश संदेश भी देती है जो अंदर में तन्मयता प्रदान कर पाने में पहल करती है.
बिम्ब ही बिम्ब
1.
मैंने बहुत सारी रातें जाग के बिताई हैं
मेरी अनकही पीड़ा की
मेरी थकी हुई बुद्धि की
आओ मेरी जान,
मेरी ज़िन्दगी की सांस
आओ और मेरे ज़ख्मों को पैरहन ओढ़ा दो
और
मेरी दवा बन जाओ
बहुत हो गए शब्द
निशब्द होकर मेरे पास आओ. (9)
(रूमी सूफ़ी की मज़ार)
2.
पिछली रात
मेरा प्रियतम चाँद जैसा था
अति सुंदर !
वह सूरज से भी ज़ियादा रौशन था
उसकी रहमत मेरी पकड़ के बाहर है
बाकी सब मौन है. (10)
3.
मैं तुमसे पागलों की तरह प्यार करता हूँ
मुझे सलाह देने का कोई मतलब नहीं !
मैंने प्यार का ज़हर पिया है
दवा लेने का कोई मतलब नहीं !
वो मेरे पावों को बांधना चाहते हैं
उसका कोई मतलब नहीं
जब मेरा दिल ही पागल हो गया है . (16)
4.
हर शब्द के साथ तुम मेरा दिल तोड़ते हो
तुम देख रहे मेरे चेहरे पर
खून से लिखी हुई मेरी कहानी
क्यों अनदेखी करते हो?
क्या तुम्हारा दिल पत्थर का है? (19)
5.
मेरे दिल को
खोज की,
और निराशा की
उलझनों से आज़ाद कर दो
मुझे प्यार का जाम ला दो, और
मेरी रूह अपने पर खोल देगी
आपके पास हर प्यारे के लिए
सम्पूर्ण जाम है. (22)
6.
वह लौट आया है
जो कभी ना-हाज़िर रहा ही नहीं
पानी जो कभी नहर को छोड़ कर गया ही नहीं
खस्तूरी की सुगंध,
जिसकी हम ख़ुशबू हैं,
क्या सुगंध और ख़ुशबू अलग हो सकते हैं. (30)
7.
तुम मेरे ह्रदय की रोशनी हो
और मेरे ह्रदय की राहत हो
पर तुम उलझन खड़ी करते हो
क्यों पूछते हो "क्या तुमने मित्र को देखा है?"
जब तुम अच्छी तरह जानते हो
वह दोस्त देखा नहीं जाता. (45)
प्रस्तुति एवम् हिंदी अनुवाद: देवी नागरानी
अविभाजित भारत के कराची में जन्मीं देवी नागरानी जानी-मानी साहित्यकार हैं. सिंधी, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में आपकी दस से ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में बतौर शिक्षिका जीवन-यापन करने वाली देवी नागरानी को साहित्य के कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं.
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