(मेरी आज की कविता)
बरखा उत्सव का रोमांस
मस्तानी
बानी
छवि सुंदर
रानी
भीग भीग कुहू कोयलिया
बरखा उत्सव रुन-झुन पायलिया
झमझम-झमझम मन चमचम-चमचम
प्रीतम प्रीति परम परम
प्रेम राग अनुपम तानी ।
मस्तानी बानी छवि सुंदर रानी
भीग भीग कुहू कोयलिया
बरखा उत्सव रुन-झुन पायलिया ।।
विद्रोही
वीर बटोही
अक्षुण्ण तेज
नभ का टोही
झूम पपीहा बदरा बदरा
बरखा उत्सव अंचरा अंचरा
छुई-मुई मन हरदम हरदम
प्रीतम रति नरम गरम
प्रेम प्रगाढ़ अनुग्रह होई ।
विद्रोही वीर बटोही अक्षुण्ण तेज नभ का टोही
झूम पपीहा बदरा बदरा
बरखा उत्सव अंचरा अंचरा ।।
सूखी
रूखी
धरती
प्यासी-भूखी
बूंद-बूंद उल्लास जगे
बरखा उत्सव मधुमास लगे
कोयलिया पपीहा मन बम-बम
प्रीतम गीत करम धरम
प्रेम कुमुदिनी अतुल अनोखी ।
रूखी सूखी धरती प्यासी-भूखी
बूंद-बूंद उल्लास जगे
बरखा उत्सव मधुमास लगे ।।
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